वेलकम टू ड्रीम



मेरे पापा ने एक बहोत बडा बंगला खरीदा । पर वो बंगला एक गाव मे था । पहाडी क्षेत्र पर गाव से हायवे जा रहा था । हायवे के साईड्स पीले पत्थरो से बने थे । गाव नीचे मे था हायवे ऊपर से जा रहा था ।

वेलकम टू ड्रीम
Photo by Ashkan Forouzani on Unsplash




वेलकम टू ड्रीम



बस आज ही ये सपना देखा और आपको सुना रहा हूँ ।



लेखक :- जतीन दिवेचा




मेरे पापा ने एक बहोत बडा बंगला खरीदा । पर वो बंगला एक गाव मे था । पहाडी क्षेत्र पर गाव से हायवे जा रहा था । हायवे के साईड्स पीले पत्थरो से बने थे । गाव नीचे मे था हायवे ऊपर से जा रहा था ।


बंगृला गाव के बाहर ही था पर पूरा गाव पहाडो से घीरा हूआ था । गाव मे सबसे बडा एकलौता बंगला । अब मै अपने गाडी से अने दोस्तो के साथ पहूँचा वहा, पापा कुछ दिन बाद आने वाले थे । बंगला देख ऐसा लगा जैसा अभी ही पेंट हूआ है । सामने ऊपर गोल बाकनी ग्रील से घेरी हूई। तभी वीक्रांत ने कहा सर यहा कोई नौकर नही मीला गाव वालो ने साफ ईन्कार कर दिया । मैने भी कह दिया गरीबी और उसका घमंड ! वीक्रांत घर दिखा कर वापस कंपनी लौट गया ।


मेरा दोस्त स्वप्नील अपना मोबाईल चार्जींग पर लगाता है । बंगला भले ही चक्क था पर ईलेक्ट्रिक फिटींग पाईप और लकडी की । ईरफाना और पूजा बंगले की गेलरी घूमने लगे । बंगले के दो दरवाजे एक ही तरफ थे । वो भी main दरवाजे । शायद वहा कोई दो भाईयो का परीवार रहता होंगा जीनकी आपस मे नही बनती होंगी और दोनो ब्लोक्स को जोडने बीच मे एक दरवाजा था अंदर से । दो दीन आराम से कटे पर एक रात पूजा ने कहा मै अलामारी मे कपडे जमा देती हूँ ।


वो गई दूसरे ब्लॉक मे पर दरवाजे के बीच ताला था । मोने ताला तुडवा दिया । पुजा सुबह 8 बजे गई हम अपने अने काम मे थे तभी पुजा की चिख सूनाई दी पर पुजा नही दिखाई दि । पुरा बंगला ढूंढ लीया ऊस अलमारी मे भी नही थी । अचानक पूजा गायब । फीर फ्रंट हॉल से स्वप्नील की चीख सूनाई दी वो भी गायब । ईरफाना भी गार्डन मे थी । मैने ऊसे कहा संभल के । मै पीछे पलटा ईरफाना भी चिख कर गायब । अब मै अकेला था मैने मेरे दोस्त प्रज्वल को बूलाया । वो आ भी गया । पर हम दोनो अभी तक सलामत थे । रात हो चूकी थी । भी अंधेरे मे हमारी कार आई वीक्रांत और पापा और प्रज्वल का परीवार था । मैने पापा को कहा तो पापा ने कहा हो सते हो टहने गए हो सब । ईतने बडे स्पेस से गायब होना पॉसीबल नही है ।


अब मै और पापा 1st block के आखरी कमरे मे थे प्रज्वल 2nd block के आखरी कमरे मे । यह दोनो कमरे एक दरवाजे जूडे थे । प्रज्वल का परीवार 2nd block के 1st हॉल मे । और वीक्रांत 1st block के हॉल मे । सब वही सो गए ।



रात एक बजे वो जोडने वाला दरवाजा खूला । मुझे लगा प्रज्वल या चोर हो । क्योंकी मुझे गाव वालो पर भरोसा नही था । मै सोने का नाटक करते हूए हल्के आँख से देख रहा था । तभी वहा एक औरत काली साडी मे दिखी । जीसके काले बाल जो घूटनो तक खूले थे । सफेद चेहरा । सूंदर थी पर डरावनी । आँखो मे लाल कलर का काजल जोसा कुछ था । आँखे बहोत बडी । की तभी वो हल्के हल्के हसने लगी । और गायब हो गई ।


अगले दिन यह बात सब को बताया । कीसीको लगा की दोस्त गायब होने के सदमे हू तो कोई बोले नई जगह है ऐसा होता है । फिर क्या था । मै छूप रहा । प्रज्वल की बहन छकू यह घुमने मे चौकशी करने मे माहीर । ईस रात उसे वह औरत अलमारी पर बैठी दिखी । वह रोते हूए मेरे पास आई और बोली जतीन भैया आप सही थे । अब आगले दिन प्रज्वल की मम्मी प्रेस कर रही थी उन्हे भी वह दिखी एक रूम से दूसरे रूम जाते हूए । पर अब तक हमे कूछ कीया नही था ।


फिर वीक्रांत को हवा मे उडते दिखी । फीर प्रज्वल के पापा को गेलरी मे । सिर्फ मेरे ही पापा को नही दीखी थी । अब ऊस चूडैल का तांडव शूरू हूआ वो जोर से चील्लाती । बंगलो की बीजली बंद कर दिया लेकर नाचती अब ऊसे सभी देख चूके थे । की एक दिन ऊसने वीक्रांत को मोहित किया । खुबसूरत लडकी लग रही थी । वीक्रांत बहक चूका था । वीक्रांत सब भूल ऊसे बाहो मे लेने लगा । उसने वीक्रांत के सीने पर हाथ रख कर अपने असली रूप मे आते हूए वीक्रांत का सीना अपने बडे नाखूनो से फाड दिया और उसका कलेजा नीकाल खाने लगी ।


वीक्रांत की लाश तक वो साथ ले गई। अब अगले दिन मैने प्रज्वल के परिवार को वापस भेज दिया । मेरे पापा को भी कहा पर वो नही माने । हमने एक पंडीत को बुलाया और पुजा चालू की पूजा चल पडी रात होने लगी थी । पंडीत ने कहा पूजा समाप्त हूई । और पंडीत चल पडा । वातावरण सुखद लग रहा था । मैने भी सोचा चुडैल आसानी से चली गई अब रात 1 बजे मै और प्रज्वल गलीयारे मे चर्चा करते बैठे थे की तभी हम दोनो के बीच छत से एक लाश गीरी । यह लाश ऊस पंडीत की थी । अब चूडैल हसने लगी हाहाहाहा अब महाराज की बारी है । मै झट से पापा की तरफ दौडा की पापा सोए हूए थे और चूडैल ऊनके गोल गोल चक्कर काट रही थी । अब मै गूस्से मे था ।


मैने बजरंग बाण का उच्चार शुरू कीया । नतीजा चूडैल मुझसे आँख नही मीला पा रही थी पर वो वही थी । तडप रही थी । मेरी आवाज और चूडैल की चीखो से पापा जाग गए । मैने ऊन्हे बाहर नीकलने का ईषारा कीया । वे प्रज्वल के साथ बाहर आ गए । मै भी बजरंग बाण जपते हूए बाहर नीकलते आया । जैसे ही मै पीछे हटता वो आगे बढती । मै बाह नीकला और रूक गया पर बजरंग बाण चल रहा था । प्रज्वल और मैने दोन्ही शाही दरवाजे बंद कर दीए । पर वो चूडैल जोरो से चौकट के साथ शाही दरवाजो को हिलाने लगी और कहने लगी तूम नही बचोगे एक बार अंदर आ जाओ ।



मैने प्रज्वल और पापा से कहा कुछ भी हो जाए पीछे मत पलटना । दौडते हूए कंपाऊंड पार करो । वे तो नीकल गए पर मै अब भी वही था । चूडैल गेलरी से मुझे गुस्से मे देख रही थी । 


कंपाऊंड गार्डन भी ऊसका ही ईलाका था पर शायद वहा वो कमजोर पडती । पापा , प्रज्वल यह सब कंपाउंड के बाहर से देख रहे थे ।


अब वो चूडैल नीचे थी मैने ऊससे कहा कहा मेरे दोस्त ?


हस रहि थी और बोली तू तो गया ! मौत तूझे बूला रही है । उसने मेरा गला पकडा था । पापा बोले कोई तो बचाव ऊसे । पर कोई गाव वाला मौजूद नही था । मेरा हर बार एक सवाल कहा है मेरे दोस्त ? हर सवाल पर चूडैल की पकड मजबूत । तभी तीन रोशनीया प्रकट हूई जीसने चूडैल को साथ मील कर घसीटा । चूडैल ऊन्हे देख कहा नही छोडूंगी तूम्हे । और गायब हो गई ।


अब वो रोशनी आकार मे आई तो यह मेरे दोस्त स्वपनील , पूजा और ईरफाना थे । ऊन्होने कहा जाओ जतीन । मैने कहा तूम भी चलो यार । पुजा ने कहा अब ये मुमकीन नही । तूम जाओ और लौट के कभी मत आना । मेरे आँख मे आंसू थे मैने तीनो को छूआ हल्के गीले ठंडे बादल की तरह थे वो । मै उल्टा चलता गया वो मेरे गेट पार हूए तक रूके रहे मुझे देखते रहे और धूए के साथ गायब हो गए । और चूडैल की चीखे पूरे बंगले मे गुंज उठी बंगले की बीजली बंद हो गई । पर बंगला हिरे जैसा चमक रहा था । हम वहा से चल पडे ।



तीन बजे थे रात के एक काका मीले सर पर फेटा हाथो मे लठ्ठ , धोती कूर्ता धरे हूए । वे बोले तूम तीनो पहलीबार देखा जो ऊस बंगले से जींदा आए । वर्ना आज अमावस की रात थी । और अमावस जो भी वहा ठहरा वो मारा गया ।

मैने ऊनसे पूछा, काका कौन थी वो ?


काका ने कहा - वो ईस महल की पटरानी थी । महाराज की पत्नी जाने के बाद सब ईसे ही रानी का दर्जा देते थे । यह काले जादू की प्रख्यात जानकार थी । महाराज को ईसने काले जादू से मार दिया । पर महाराज के सगे दोनो बेटो की एकता ईसे रास नही आई ईसने राज्य के साथ महल के भी दो तूकडे करवा दीए । फीर ईससे नाराज होकर राजगूरू शीवनाग ने ईसे नागा त्रीषूल से मृत्यू तो दे दी पर यह मरा कर भी मरी नही । धीरे धीरे पूरा महल नीगल गई और दोनो राजाओ को भी । जब से यही है । करीब दो हजार साल से ।

मैने पूछा काका आप यह सब कैसे जानते हो ?


काका :- मै ही हूँ महाराज का बडा बेटा चक्रराज ।


और काका गायब हो गए ।


सूबह की पहली कीरण से हम बस स्टॉप पहूंचे और अमरावती आए ।


और मेरे रूम की बेल बजी मेरी नींद खूल गई ।


लेखक - जतीन दिवेचा

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