तारा - द डॉल

और आज उन्हे चार साल की मासूम लडकी है । अब आते है कथा पे सबा कुछ ठिक चल रहा था । मासूम परी बाबागाडी पर खेल रही थी । रवी (जीजू) अपने अॉफीस को नीकलता है । रवी की पत्नी प्रिती कीच मे बर्तन धो रही है । 


तारा - द डॉल
Photo by Aimee Vogelsang on Unsplash

तारा - द डॉल



तो कल आपने जो Abhishek Dhawle की कहानी सूनी उसे आगे मै जतीन दिवेचा अपने कल्पना से विस्तार दूंगा । हमने कल देखा कि एक परिवार आत्महत्या कराता है और ऊनकी आत्माए नेहा (काल्पनीक नाव) के दिदी और जीजा को सताती है । बाद मे तांत्रीक ऊन्हे नष्ट करता है ।



और आज उन्हे चार साल की मासूम लडकी है ।


अब आते है कथा पे सबा कुछ ठिक चल रहा था । मासूम परी बाबागाडी पर खेल रही थी । रवी (जीजू) अपने अॉफीस को नीकलता है । रवी की पत्नी प्रिती कीच मे बर्तन धो रही है । परी अपनी बाबागाडी ढकेलते हूए उस गल्लीयारे के तरफ जा रही है जहा तांत्रीक ने पूजा की थी । पर वहा जंग लगा एक छोटा सा ताला लगा है । परी यह देख बाबागाडी पलटाती ही है की आवाज आती है कट्ट्ट्ट । ताला तूट जाता है अब परी अंदर जाती है । धूल से भरी वो गल्लीयारे मे लाल कूंकू , हल्दी , तेल ईसके नीशान की तभी परी को समने एक प्यारी सी गूडीया दिखाई देती है । सर पर टोपी , बडी आँखे , प्यारी सी मुस्कान । काफी प्यारी गूडीया होती है । अब परी वो गूडीया लेकर प्रीती के पास जाती है । जैसे ही परी बाह आती है गलीयारे का दरवाजा अने आप बंद हो जाता है । 


प्रीती - अले मेरा सोना बेटा गुडीया कहा से लाई ।


परी - मम्मा ऊधर मीली ।


प्रीती ने ईसे साधारण समझा । सब कूछ ठिक चल रहा था ! शाम के 7 बजे जब प्रीती मंदिर मे दिया लगाने लगी तभी दिया बूझ गगा । प्रीती ने फीर दिया लगाई फिर दिया बुझ गया । आखीर तीसरी बार दिया जलता रहा । जब प्रीती पूजा खत्म कर बाहर नीकली तो परी मोटी आवाज मे गा रही थी Jjjjjhhhhhoonny jhhhony yeeeees papa teeeeelllllinnng lieeeees,,,,,


यह सून प्रीती ने परी से पूछा की याह तूम कहा से सीखी तो परी ने कहा की मेरी friend तारा से । प्रीती ने कहा वो कहा रहती है तो परी ने कहा की खीलौने वाले कमरे की अलमारी मे । प्रीती को लगा परी मजाक कर रही है या गुडीयो का नाम रखा है । ईसके बाद 8 बजे रवी आया ।


रवी - हे परी मेरा लाडका बच्चा (परी को गोदा मे लेते हूए उसे चॉकलेट देते हूए)


परी- पापा पापा आज मूझे न नई doll मीली और मेरी friend तारा भी ।


रवी- अच्छा बेटा तारा कहा रहती है ?


परी - खीलोने के अलामारी मे 


रवी हस पडा और प्रीती ने कहा परी कहानीया बना रही है । रवी ने खाना खाया औरा सोने चले गए । 12 बजे सब सो चूके थे की तभी रवी को हसने की आवाज आने लगी खीखीखीखी..........


रवी ने जाकर देखा तो परी doll से बाते कर रही थी । तब रवी चलो परी ईतनी रात को नही खेलते की तभी परी ने रवी को जोर से लोटा रवी उडते हूए गया और 7 8 फीट दूर जा गीरा ।


परी - एहहहह खबररदार जो हमम दोस्तो के बीच आया तोहहह । Johnnnny jhohhhhny yesss papa hihihihihihuh हाहाहाहाहाहाहा ,,,,,


रवी की गिरने कि आवाज सून प्रीती भी वहा पहूंच गई । परी की इँखो से खून टपक रहा था । परी ने प्रीती को देखो परी का चेहरा सफेद ओर ऊसपे काली दरारे साफ दिखाई दे रही थी ।


परी - मा रवी से दूर रहो वो हमे मार दालेगा दूरररररररार रहोहो और परी बे होश हो गई ।


अगाले दिन सूबह जब यह बात प्रीती ने अपने पापा को बताई तो वो फिर ऊसी तांत्रिक को लेकर आए ।


परी- आ गया तांत्रिक तूझे क्या लगा ससबबब खत्म हो गगगगयाया । हिहिहिहि,,,, ईंतजार था मूझे नए जीस्म का । हहहहअअअअअअअअअअअअअअ,


तांत्रीक नै झट से भभूत नीकाल परी पर मारी और उसे एक कमरे मे बंद कर दिया । सूरक्षा घेरा बनाकर परीवार को उसमे रखा ।


तभी परी दरवाजा तोड बाहर आई घर की खडी दीवारो पर गोल गोल दौड लगाने लगी ।


तांत्रिक- शांत हो जा शैतान ।


परी- तारारारा हूँ मै हीहीहीही,..,.. मै ईस पुरे परीवार को ले जाऊंगी हीहीही । Johhhhhny johhhhnyyyy yesssss papa
मरेंगा तांत्रिक yeeeeeeessssss papa हीहिहिहाहाहा..,,,


अचानक परी तांत्रिक पर छलांग लगाती है । ऊसके चेहरे परा दो जख्म बना दूसरे दिवार पर जा लटकती है ।


तांत्रिक - रवी यह पवीत्र आत्मा से बनी रूह है । बहोत शक्तीशाली यह परी को ईतने आसानी से ना छोडेंगी । अब जो होंगा ऊसमे कुछ भी हो सुरक्षा घेरा न तोडना।


तांत्रीक समशान की राख पर ॐ काली कपाली दही दही स्वाहा । तभी परी जमीन पर आ गीरती है ।

अब घर मे अंधेरा हो जाता है सीर्फ एक घेरा होता है पीले उजाले का जहा आसमानी किरणे उतर रही होती है । वहा तारा का बचपन दिखता है । वह गूडिया से खेल रही होती है । तभी तारा का बाप दारू के नशे मे आता है और तारा की मा को मारता है ।


बाप- साली कुलटा मुझे यह लडकी नही चाहीए कहा न तूझसे मुझे मेरा वंश का चीराग चाहीए था ।


और जोर से तारा को लात मारता है । तारा रोने लगती है ।


तारा - नही पापा मूझे मत मारो मम्मी को भी मत मारो । नही पापा ! मम्मी मुझे बचाव। तारा की मा चूपचाप एक कोने मे शांत रहती है । तभी तारा का बाप अंदर से रॉकेल लाता है तारा पर डालता है हाथ से गूडीया छिनता है और ऊसे जला देता है । थोडी देर बाद जब आग बूझती है तभ भी तारा जीन्दा होती है । बोलने की कोशीश करती है पर आवाज नही नीकलती । बस मासूम दर्द भरी आँखो से माँ की ओर देखती है और गूडीया को छू कर अपनी जान छोडती है । यह देख प्रीती रवी रोने लगे । वो जला हूआ जीस्म तारा का बाप ऊसी कमरे मे जहा से काँच से तारे दिखते थे अलमारी मे पैक कर सींमेट से भर देता है ।


पर तारा कुछा दिन बाद ऊस गूडीया को माध्यम बना वापस आती है और सबसे पहले अपनी मा का सीर दिवाल पर जोर जोर से पटकती है और अपनी माँ के शरीर मे घूस कर चाकू से खूद का गला चीर लेती है । अब तारा का बाप डरते हूए टेरेस पर भागता है। तारा उड कर ऊस तक पहूंचती है और ऊसे भी बील्डींग से फेक देती है । पोलीस वह गूडीया को गलीयारे के स्टोर रूम मे बंद कर आत्महत्या की केस घोषीत कर देती है ।


अब यह दृश्य खत्म होता है । तांत्रीक कहता है की हमे वो अलमारी का शरीर और गूडीया जलाना होंगा वीधी वीधान से । यह काम मे लग जाते है । रवी अलमारी तोडने दौड पडता है । तांत्रीक तारा को बांध कर रखता है रूद्राक्षो से । यह देख तारा चीखती है । " नही छोडूंगी कीसी को " ।


तभी तारा परी बन जाती है औरा मासूमीयत से "मम्मी मूझे छूडाओ देखो न अंकल ने मूझे बांध रखा है " प्रीती ममता हेतू आगे आती है पर उसके पीताजी ऊसे रोक लेते है । अब तारा जोरो से चीखती है । "अहहहहहहहहहहहहहहहहहहह अअअअअअ नहि छोडूंगी।"


रवी तारा का ढाचा लेकर आता है । प्रीती के पीता लकडीया बिछाते है । और तांत्रिक तारा से लढता है ।
रवी चीता बनाए बाद उसे पानी देता है साथ ही गूडीया को भी चीता पर रख अग्नी देता है । और अब परी बेहोश होती है । तांत्रिक कहता है तारा मूक्त हूई । परी होश मे आती है और सब ठिक होता है । 


ईस तरह एक दूखी आत्मा का अंत होता है ।


अगर आप भी कोई अनूभव या कल्पना भेजना चाहते हो तो हमारे मेसेज बौक्स मे दे । हम आपके नाम के साथ पोस्ट करेंगे ।


आपका मीत्र

जतीन दिवेचा

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