वशीकरण

दोस्तों ये घटना एक ऐसे तंत्र विद्या के बारे में है जिसके असर को जान कोई भी इसे सीखना चाहेगा । कितना अच्छा लगता है सोच कर की कोई इंसान जिसे आप बहोत प्यार करते हो और वो आपके वष में हो जाये । और इसी वष में करने वाली विद्या का नाम है वशीकरण ।



वशीकरण
Photo by Fikri Rasyid on Unsplash



वशीकरण


दोस्तों ये घटना एक ऐसे तंत्र विद्या के बारे में है जिसके असर को जान कोई भी इसे सीखना चाहेगा । कितना अच्छा लगता है सोच कर की कोई इंसान जिसे आप बहोत प्यार करते हो और वो आपके वष में हो जाये । और इसी वष में करने वाली विद्या का नाम है वशीकरण ।

यह कथा के पात्रो के नाम बदल दिए गए है।

कुछ दिन पहले मैंने बस स्टैंड पर एक विज्ञापन पढ़ा की "आइये मन चाहां वशीकरण करवा लीजिये प्यार में नाकामी हो या समाज में इज्जत पाना ।' न जाने क्या क्या लिखा था । उस दिन से वशीकरण शब्द मेरे दिल में बस गया और मैंने अपने गुरु से पूछना चाहा । एक हफ्ते बाद जब मैं अपने गुरु से मिला तो उनसे पूछा की वशीकरण क्या है ?

उन्होंने बताया किया वशीकरण किसी को वष में करने की अचूक विद्या है। वशीकरण किसी भी चीज से किया जा सकता है जैसे की कपडा जिसे पहनने वाला तुम्हारे वष में होगा और तुम्हारे सारे काम करेगा । मैंने गुरूजी से पूछा की क्या वशीकरण की विद्या का काट नहीं है ? गुरूजी ने कहा दुनिया में बहुत ही कम ऐसी विद्या है जिनका काट न हो वशीकरण का काट है । गुरूजी ने कहा ये विद्या जितनी ताकतवर है उतनी ही श्राप दायक भी । फिर उन्होंने इस विद्या से जुडी एक घटना को सुनाया । उसी घटना का वर्णनं मै आज यहाँ करने जा रहा हूँ ।

काफी वक़्त पहले ग्वालियर में एक परिवार रहता था । धन दौलत रौब शोहरत सब कुछ था उनके पास । उस परिवार के मुखिया बहुत ही इज्जतदार थे । अंग्रेज भी उनकी इज्जत करते थे । उन्हें ठाकुर साहब कह कर पुकारते थे । आज़ादी के बाद भी उनके शान में कोई कमी नही आई । उनके दो बेटे और एक बेटी थी । वे दोनों बेटो की शादी कर चुके थे । जिनमे से एक डॉक्टर था और एक विदेश में पढ़ा हुआ पर पिताजी का ही काम काज देखता था । और वे ही वारिस भी था । खेती , पुश्तैनी जायदाद सबकी जिम्मेदारी यही संभालता था । 

इनकी बेटी कामिनी भी अपनी पढाई पूरी कर चुकी थी । सूंदर,यौवन से भरी कामिनी सीधी भोली और संस्कारी भी थी । इसके लिए एक अच्छे वर की तलाश पिता और भाइयो द्वारा चल रही थी । कामिनी सबसे ज्यादा लाड़ली थी । इसकी हर ख्वाइश पूरी की जाती थी ।

एक दिन कामिनी गुनगुनाते हुए अपने हवेली के मध्य स्थित मजले पर टहल रही थी । हलकी बारिश हो रही थी । बारिश में खो कर कामिनी घर के सामने सड़क पर पड रही बूंदों को निहारने लगी । 
कामिनी ने देखा की एक मस्त मौला इंसान अपने ही धुन में तेज गति से चलता हुआ आ रहा था । उसकी वेशभूषा भी अलग ही थी । थोडा नजदीक आने पर कामिनी ने देखा की वो एक साधू था ।


जिसके एक हाथ में त्रिशूल और एक हाथ में एक गठरी थी । वो ऐसे चल रहा था मनो मिधक मिधक के उछल रहा हो । उसे देख कामिनी हस पड़ी । खिल खिल करते लहरो जैसे कामिनी हस पड़ी । साधू ने तुरंत कामिनी की और देखा और समझ गया की कामिनी उसी पर हस रही है । उसे यह देख काफी गुस्सा आया । साधू उसके घर में बड़बड़ाते हुए घुस्सने लगा पर दरबारियो ने उसे बहार ही रोक लिया । साधू गुस्से में अपने राह की ओर बढ़ गया । बार बार वो कामिनी की ओर देखता और आगे बढ़ जाता ।


उस दिन से साधू की नींद उड़ गई । उसे केवल कामिनी का यौवन और अपना बदला नजर आ रहा था । साधू कामिनी पे वशीकरण कारन चाहता था पर कोई तिगड़म काम न आया । आखिर एक दिन उसे पता चला की एक नौकर हवेली को सजाने रोज फूल ले जाता है । और कामिनी ही ईन फूलो से घर सजाती है । बस यही से बदले का मार्ग साधू ने चुना । नौकर फूलो की गठरी लिए आ रहा था साधू भी उसके पीछे लग गया । नौकर ने इसे हलके में लिया । साधू कुछ पढता जाता और फूलो पे दुरी से फुकता जाता । ऐसा करते करते हवेली आ गई । कामिनी वही बालकनी में खडी थी । उसकी नजर साधू पे पड़ी । साधू उसे देख फिर हाथ पैर झटकते हुए निकल गया ।

फूल आते से ही कामिनी ने उन्हें सूंघा और बेहोश हो गई । जब कामिनी की आँख खुली तो वो अपने कमरे में थी । वहा सभी मौजूद थे । मगर कमिनि किसी को जैसे पहचानती ही न हो ऐसे पेश आने लगी । और कहने लगी मुझे जाने दो मुझे जाने दो । सब घबरा गए और उसके डॉक्टर भाई ने उसे नींद का इंजेक्शन देकर सुला दिया । सभी परेशांन थे । कामिनी को 2 घंटे बाद होश आया तो फिर वही सब चल रहा था । अबकी बार उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाने का निर्णय लिया गया ।


मनोचिकित्सक ने भी दवाई देकर आराम की सलाह ही दि । पर अब कामिनी बिलकुल बदल गई थी । वो पहले जैसी बिलकुल नहीं थी । तभी एक नौकर ने ठाकुर जी को सलाह दी की तांत्रिक की भी मदद लीजिये । यह सुनने पर ठाकुर जी पुत्री मोह में राजी हो गए । तांत्रिक को आखिर नौकर ले ही आया । उसे ठाकुर साहब ने पूरी आपबीती बतलाई । ये सिन तंत्रीक ने अपने झोली से कुछ वस्तुए निकली और कामिनी को बुलवाया । जब कामिनी को लेने उसके कमरे में गए तो देखा की वो चादर के सहारे खिड़की से भाग निकली थी । यह बात तांत्रिक को पता चलते ही तांत्रिक ने कहा की जल्दी से जल्दी उसे ढूंडा जाये वर्ना अनिष्ट हो जायेगा । कुछ नौकर कांमिनि को ढूंढने निकल पड़े थे । एक भाई भी चला गया था ।



तांत्रिक ने कामिनी के कुछ कपडे मंगवाए और उसपे तंत्र विद्या की और कहा "आप सब मेरे साथ चलिए मुझे पता है कामिनी कहा है ।" जैसे जैसे तांत्रिक कहता वैसे वैसे गाड़ी चलाई जाती । रस्ते में तांत्रिक ने बताया की किस तरह साधू ने कामिनि पर फूलो द्वारा वशीकरण किया था ।

आखिर जंगल में एक झोपडी तक वे पहुच गए । उन्होंने देखा की उस झोपडी में कामिनी निर्वस्त्र लेटी हुई थी । पास में एक त्रिशूल रखा हुआ था जो उस साधू का था । कामिनी के भाई ने झट से अपना शर्ट कामिनी पर डाला और शॉल से उसे ढका । कामिनी की माँ ने उसके चेहरे पर पानी के छींटे मारे । कामिनी को होश आया ।


कामिनी को खुद से नफरत सी हो गई थी । वो रो रही थी । वशीकरण का असर खत्म हो चूका था । कामिनी ने पास ही पड़े त्रिशूल को खुद के सिने में घोप लिया । उसे अस्पताल ले जाते हुए उसने अपना दम तोड़ दिया । भाइयो द्वारा साधू की झोपडी जला दी गई पर उसका दुपट्टा तांत्रिक ने रख लिया ।

ठाकुर साहब ने कामिनी का अंतिम संस्कार बिना पुलिस को बताये ही कर दिया । जिससे कामिनी का नाम बदनाम होने से बचा । अब ठाकुर ठहरे ठाकुर गुस्से से लाल ठाकुर ने तांत्रिक को उस साधू का पता पूछा । तांत्रिक ने दुपट्टे पर वो ही क्रिया की जो कामिनी का पता पाने को की थी। साधू को ढूंढ लिया गया ।


उसे पकड़ कर जंगल में ही एक पेड़ से बांध दिया गया और ठाकुर साहब के वफादार कुत्तो को उसपे नोचने के लिए छोड़ दिया । वो चीखता रहा चीलाता और अपनी शक्तिओ को भी बुलाया । मगर तांत्रिक के आगे उसकी एक न चली और उस साधू की लाश को तक जंगली जानवरो को खिला दिया गया ।

वशीकरण यह साधना बुराई में भटके लोगो को सही मार्ग पे लाने हेतु है । इस दैवीय साधना का दुरूपयोग जो भी काम क्रोध वासना लालच हेतु करता है उसकी दर्दनाक और अकाल मृत्यु ही होती है ।

धन्यवाद गूगल हिंदी जो हिंगलिश में लिखने पर भी हिंदी में लिखा गया । जिससे हमारे वाचक बहुत ही संतुष्ट होंगे 

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