भूत बंगला

मेरी बहन और जीजाजी एक बडे बंगले की तलाश मे थे । आखीर बहोत ही कम किंमत पर उन्हे एक बडा तीन मंजिला बंगला मील गया । जीसमे स्विमींग पूल और गार्डन भी था । शहर से दूर था पर सूंदर था ।



भूत बंगला

भूत बंगला 



नमस्कार मै Abhishekh Dhawale यह घटना मेरे दोस्त के साथ घटी है ।आगे की कहानी उसीकी जुबानी ।



मेरी बहन और जीजाजी एक बडे बंगले की तलाश मे थे । आखीर बहोत ही कम किंमत पर उन्हे एक बडा तीन मंजिला बंगला मील गया । जीसमे स्विमींग पूल और गार्डन भी था । शहर से दूर था पर सूंदर था । पडोसी भी थे पर बंगलो मे काफी अंतर था । आखीर डिल हूई । सोनी साहब दलाली लेने आए । तब जीजाजी ने पुछा की सोनी साहब ईतने कम मे ईतना शानदार बंगला कैसे बेचृ दिया । तब सोनी ने कहा की बंगले के मालीक वीदेश मे settle है। ऊन्हे ईसे बेच वहा पर एक और बंगला खरीदना था ईसीलीए कम किंमत मे बेच दिया ।


मै बंगला घूम रही थी तभी देखा की पडौसी हमे घूर रहे थे । पर बात करनी चाही तो वो अचानक घर मे चले गए ।


आगले ही दिन shifting भी हो गई । मेरी छूट्टीया थी ईसीलीए मै दिदी के घर ही रूक गई । 2 3 दिन अच्छे बिते । जीजू अॉफीस से रात 8 बजे लौटते ।


पर ऊस दिन दिदी और मै बहूत enjoy कर रहे थे । हॉरर फिल्म भी देखी । फिर जीजू आ गए । हमने खाना खाए और सोने चले गए । हमारे bedroom पडोस मे हि थे । मेरी बेडरूम मे छत पर एक काच लगा हूआ था जीससे आसमान के तारे दिखते थे ।


निंद लग गई पता भी नही चला । अचानक कूछ देर बाद निंद खूली । घडी मे 1 बज रहा था । छत पर अचानक से गूर्राने की आवाज आई "ह्अअअअअ" । ऊपर देखी तो एक परछाई चमक रही थी । तभी लाईट on की देखती तो क्या परछाई गायब थी । मूझे लगा वहम होंगा । मेरा गला डर से सूख चूका था । पानी पीने किचन मे आई तो स्तब्ध रह गई । एक औरत दिवार पर अपना माथा जोर जोर से पटक रही थी । मेरी मौजूदगी देख वो अचानक रूक गई । 


उसके खूले बाल और वो पीछे पल्टी सफेद नीस्तेज चहेरा। लाल खूनी आँखे और आँखो के नीचे काले घेरे । सीर पर बडा सा जख्म पर एक भी बूंद खून नही काले फटे होठ । की अचानक वो मेरे सामने केवल दो ईंच का अंतर होगा। मै जोर से चीख पडी । गीरते पडते सीढीयो तक पहूँची । तभी जीजू और दिदी भी आ गए । मैने ऊन्हे सब सच बताया । ऊन्होने ईसे हसी मे लीया । तभी दिदी ने कहा की शायद ये दोपहर मे देखे फिल्म का असर होंगा ।


दूसरे दिन सब नॉर्मल समझ कर मै रही और वह सब भूल गई। आज जीजू को छूट्टी थी तो हमने स्वीमींग पूल मे पानी भरा और timepass करने लगे । मै स्वीमिंग पूल मे पैर डाल बैठी थी की अचानक लगा कोई मुझे पानी मे खिच रहा हो । फीर दूबारा वैसे ही हूआ । आखीर मैने जीजू को आवाज दी और सब बताने लगी जीजूने स्वीमींग पूल मे टॉर्च से देखा तो ऊन्हे भी वो परछाई दिखी और गायब हो गई । 


जीजू स्तब्ध रह गए । अब मेरे पैर मे जलन होने लगी देखी तो तीन बडे नाखूनो जैसे 1 ईंच लंबे घाव थे । आखीर घर मे जाकर ड्रेसींग की । की दिदी जोरा से चील्लाई । उनके कमरे मे पूरा खून फैला हूआ था । 
दिदी ने बतलाया की उसने एक औरत को अपना गला काटते हूए देखा है । अब यह रोज कूछ ना कूछ हो रहा था । कभी वो औरत हमारे पीछे से छनछन करते जाती तो कभी वो परछाई दिखाई पडती। रात बेरात बेल बजती जाकर देखने पर कोई नही दिखता । परेशानीओ की यह तो एक शूरवात भर थी ।


एक दिन हम सब मेरे बेडरूम मे सो रहे थे की तभी काच पर से ठक ठक ठक ऐसा आवाज आने लगा उपर देखा तो पता लगा की वह परछाई थी जीसका चेहरा साफ दिखाई पड रहा था । जला हूआ चेहरा सफेद झलक आँखे । मर्द था या और यह समझ नही आ रहा था । वह गूर्रा रहा था । आखीर कांच तूट गया । वो पिशाच अब हमारे सामने खडा था। पर वो सीर्फ डरा रहा था छू नही पा रहा था । फिर हम सीधे मंदिर की तरफ दौडे । पूरी रात मंदीर मे रहे । 


फीर दिन मे पता लगा की हमारे गले मे ॐ की लॉकेट थी जीससे वह भूत हमे छू नही पाया । यह लॉकेट मेरे पीताजी ने हमे बडे श्रद्धा से पहनाए थे । फीर हम पडौसीओ से पुछताछ करने गए । वह ईससे जरा भी नही चौके । ऊन्होने हमे फ्रेश होने कहा और चाय नाश्ता कराते हूए कहा की यह भूतबंगला है । 7 8 साल पहले यहा पर एक औरत ने अपने पती से झगडा कर खूद का गला काट लिया था और पती ने भी छत से छलांग लगा आत्महत्या कर लीया था । आप ईतने दिन यहा रहे यह अवीश्वसनीय है । 


बाद मे कई यहा आए किसी की मौत हूई तो कोई भाग गया । कई पूजा हूई पर भूत का कोई ईलाज नही हूआ । यह सब बात दिदि ने मेरे पीताजी को कही । पीताजी फौरन एक तांत्रीक को ले आए । फिर तांत्रीक ने पूरे घर मे खीले ठोके और 3 दिनो तक पूजा करी। हम सूरक्षा घेरे मे ही रहते थे । पूरे घर मे हवन की राख छिडकी गई । फीर सब शांत रहा । 


पर दो दीनो बाद फीर प्रकरण घडने लगे गूर्राहट और परछाई दिखना । फीर उन्होने पूछा पाणी का उगम कहा से हो रहा है । तो जीजू ने कहा बोअरवेल से । वो कहा है तो जीजू बोले पता नही । आखीर किचन की एक दीवार को तंत्र वीद्या से देख तांत्रीक ने तोडने कहा । वहा एक खूफिया 3 फिट चौडी गल्ली थी । जीसे दरवाजा था । ऊस दरवाजे का ताला तोड तांत्रीक अंदर जाने लगे । और कहा मै कितना भी बूलाऊ कोई अंदर नही आएंगा । सब सुरक्षा घेरे मे जा बैठे । मंत्रो की आवाज आने लगी ।



की थोडी देर बाद तांत्रीक की आवाज आई " बचाव बचाव "। फीर औरत बोली " ह ह ह आ रहे हो या ईसे मार डालू ह ह ह " । फिर तांत्रिक बोला बचाव । मेरे पिताजी उठे और जाने लगे तभी जीजू ने उन्हे रोक लिया । थोडी देर बाद एक औरत किचन से दौडआई और हमारे सामने खूद का गला काट लिया और अचानक बाहर गार्डन मे धप्प्प से कुछ गीरने का आवाज आया । फीर 10 मीनट बाद तांत्रिक बाहर आया और कहा की अब सब ठिक है । यह घर निवास योग्य है ।



आज 5 साल बीत गए उस घर मे । अब सब ठिक है। मेरे दिदी को एक चार साल की एक प्यारी सी लडकी है।


ॲडमीन :- लडकी से याद आया की उस कमरे को बच्चो के लीए सजाया गया था जहा काच मे से आकाश के तारे दिखते थे । तो ऊस आत्महत्या करने वाले परीवार मे भी बच्चा होंगा ही । वो कहा गया ? क्यो लडे उसके मा बाप ? ऐसा क्या विवाद हूआ था ?


देखेंगे अगले भाग मे ।


अगर आप के पास भी है भूतो की किस्से कहानीया तो हमे भेजे हम आपके नाम के साथ प्रस्तूत करेंगे ।

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