परतवाडा रोड , मोर्शी रोड और तीवसा रोड

ये बात 2012 के गर्मियों की है । मैं अपने दोस्तों के   साथ भरी दोपहर में परतवाडा से अखतवाडा जाने   निकला । इसलिए हमने चाँदुर बाजार मोर्शी तिवसा   रोड पकड़ा । वैसे ही ये रोड काफी डरावनी घटनाओ के   लिए जाना जाता है । 

परतवाडा रोड , मोर्शी रोड और तीवसा रोड
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परतवाडा रोड , मोर्शी रोड और तीवसा रोड


ये बात 2012 के गर्मियों की है । मैं अपने दोस्तों के   साथ भरी दोपहर में परतवाडा से अखतवाडा जाने   निकला । इसलिए हमने चाँदुर बाजार मोर्शी तिवसा   रोड पकड़ा । वैसे ही ये रोड काफी डरावनी घटनाओ के   लिए जाना जाता है ।   12 बजे हम निकले चाँदुर बाजार पहुचे , पेट्रोल डलवाया   गाड़ी में और चल निकले । हम 3 सीट मेरी नयी स्प्लेंडर   प्रो पर जा रहे थे । रास्ता भी नया ही था । साथ में सलीम भाई थे जिनका अखतवाडा में खेत है । खेत में एक   मजार है । चने की फसल अच्छी होने के कारन वो मजार   पर चादर चढ़ाना चाहते थे । चादर हमने परतवाडा से ही ले ली थी । 


मेरे साथ मेरा दोस्त सोनू भी था । सोनू   बाईक चला रहा था । अचानक रीद्धपुर से 15 किमी के   दुरी पर गाड़ी एक पुलिया पे पंक्चर हो गई । हमने देखा   तो पीछे का चक्का पंक्चर हो गया था । आगे 2 किमी   पर एक पंक्चर की दूकान थी । गाड़ी सोनू धकेलते हुए वहा   तक ले जाने लगा । सलीम भाई और मैं पीछे पीछे चलने   लगा । सलीम भाई और मै एक खेत के बोरेवेल से पानी   पिने लगे । तभी हमे तेज हावाओ की लपेट मेहसूस हुईं । पर   हुआ कुछ नहीं । हमने भी चिंता नहीं की । आखिर हम   पंक्चर के दुकान तक पहुचे । 1:30 बज रहे थे । गाड़ी का   टायर खोला गया । टायर में कुछ नहीं मिला न फटा हुआ था   । पर ट्यूब को देखा तो ऐसा लगा की मनो किसी के नाख़ून से फटा हो । 



पंक्चर वाले ने ट्यूब बदलने को कहा । पर उपलब्ध न होने के कारण हमने वही ट्यूब को बानवा   लिया । फिर हम तिवसा गये । वहा हम नाश्ता करने   लगे और सलीम भाई नमाज़ अदा करने मस्जिद में गए ।   2:30 बजे हम तिवसा से अखत वाडा पहुँचे । वहा सलीम भाई ने चादर चढ़ाया । और खुद की खेती भी   देखी । ऐसे 5:30 बज गए । सलीम भाई ने हमे कहा की   वो वही रुकेंगे । हम निकल गए । तिवसा में हमने हाईवे   किनारे की होटल में नाश्ता किया और निकल पड़े ।   अँधेरा होने लगा था । हम फिर उसी पुल पर पहुँचे । सोनू   कहने लगा की हमाँरी गाड़ी यही.... और गाड़ी फिर से   पंक्चर । उसी जगह एक सेमी का फ़र्क़ नहीं । फिर हम   गाड़ी को 2 किमी पीछे ले गए । क्योंक़ी आगे 15 किमी तक कुछ नहीं था सिवाए जंगल के ।   फिर हम पंक्चर वाले के पास रुके । 



उसने कहा भाई फिर उसी पुल पर गाड़ी पंक्चर हुई क्या ? मैंने हा कहां । फिर उन्होंने कहा की आज रात यही रुक जाओ रात को जाना   ठीक नहीं होगा वो सड़क ख़राब है । मनो पंक्चर वाला   कुछ छुपा रहा हो । फिर भी हम वहा से निकले । रात के   8 बज चुके थे । फिर वही पुल आया । अबकी हमें पुल के   दायें तरफ एक बुढ़िया दिखाई दी जिसका चेहरा खून से लतपत थासफ़ेद बाल और मटमैले कपडे पहने थी , उसी के   बगल में एक 19 साल की लड़की दिखाई दी । वो भी ऐसे ही हालात में थी सिर्फ उसका सिर खुला हुआ था । कपाल साफ नजर आ रहा था । पूल की बाये तरफ एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति था जो सफ़ेद शर्ट और पैंट में था ।   


चेहरे से सिर्फ सफ़ेद दिखाई दे रहा था मनो बिना खुन की लाश हो । उसीके साथ एक जवान लड़का था सर पे   दुपट्टा बांधे जिसका गाल फटा था और दांत साफ   दिखाई दे रहे थे । हम जैसे जैसे करीब जा रहे थे वैसे वैसे वैसे   वो हमारे सामने आ रहे थे । आखिर मैंने सोनू से कहा की   गाड़ी को 80+ की गति से आगे बढ़ाये करीब जाते ही   आँख बंद कर ले । मै जोर से हनुमान चालीसा जपने लगा ।आँख खोला तो हम पड़ाव पार कर चुके थे । पर गाड़ी   अटक अटक कर चलने लगी । उसे 2 गियर में ही सोनू   चलाने लगा । 5 6 किमी के सड़क के बाद गाड़ी फिर   सामान्य चलने लगी । 


अब हम रिद्धपुर पहुचे फिर भी नहीं   रुके । चाँदुर बाजार पहुचने के बाद चौराहे पर सोनू अपने परिवार   को याद कर रोने लगा और कहा आज कुछ हो जाता   तो परिवार का क्या होता ? फिर हम वहा से निकले ।   और रास्ते में एक पीपल के झाड़ के निचे कुछ औरते दिखाई   दी हम उन्हें वैश्याएँ समझ निकल आये । तोंडगांव की   नदी हमने पार की और परतवाडा पहुचे । 10:30 बज चुके   थे । 


शिवजी महाराज के पुतले के आगे हम नाश्ता कर रहे   थे । तभी वहा एक पुलिस दोस्त मिला जो उसी सड़क   से जुड़े एक देहात का रहने वाला था । उसने बताया की   उस जगह कई अनुभव आते है । कई एक्सीडेंट वहा हुए है उसी   पुलिए पर । जब से आजतक मैं वहा नहीं गया ।   यह जगह परतवाडा रोड , मोर्शी रोड और तीवसा रोड   के त्रीकोणी मुडते फाटो से 8 किमी पर है।   यह मेरा सच्छा अनुभव है ।      आपका मित्र      जतिन दिवेचा      

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