ममता

रात के 9 बजे थे । महेश को उसकी दुकान बंद करना था पर वो किसी स्त्री की राह देख रहा था । कुछ तो भी नाम था उस स्त्री का । महेश ने कभी उसका नाम नहीं पूछा था ।


ममता
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ममता


रात के 9 बजे थे । महेश को उसकी दुकान बंद करना था पर वो किसी स्त्री की राह देख रहा था । कुछ तो भी नाम था उस स्त्री का । महेश ने कभी उसका नाम नहीं पूछा था ।

कुछ दिन पहले महेश ने एक शॉप की शुरवात की थी । छोटी सी शॉप में बेकरी के कुछ पढ़ार्थ और दूध रखता था । उस दिन पहला ही ग्राहक कर वो स्त्री दूकान पे आई । उसके गोद में छोटा पर बहुत लाडला सा बच्चा था । और उसने एक दूध की बोतल ली और महेश से बोली " भैया मेरे पास केवल 10 ही रूपए है बाकि के आपको कल दूँगी तो चलेगा ना ? " महेश ने एक बार उसकी और देखा, बिचारी गरीब थी , मांग में सिंदूर नहीं था , न गले में मंगल सूत्र , विधवा थी वो , साडी कई जगह से फटी हुई या ठिग्गल लगी हुई । माथे से पसीने की बुँदे बह रही थी । महेश की नजर उस बच्चे की और गई । काफी लाडला प्यारा सा बच्चा था । उसका मटमैला सा चेहरा पर उसकी हँसी बहुत प्यारी थी । उसके हँसने पर उसे अभी ही आये हुए दो दाँत दिख रहे थे । बहोत प्यारा । 

महेश :-" दीदी कोई बात नहीं आप कल पैसे दे देना । "

स्त्री:- कल पक्का दे दूँगी भैया, यही पास में रहती हु सामने जो छोटे घर है न उधर से दूसरे गल्ली में एक छोटा सा घर है मेरा ।"

महेश हस्ते हुए :-कोई बात नहीं दीदी भरोसा है आप पे ।

और वे स्त्री वाहा से निकल गई । दूसरे दिन वो स्त्री आकर पैसे दी और महेश पैसे वापस करते हुए कहा की दीदी आपसे पैसे नहीं चाहिए । कल आपके हाथ से पहली बोनी हुई और 1000 रूपए का फायदा हुआ । ये सुन कर वो काफी खुश हो गई क्योंकि बहोत दिनों बाद उसे किसी ने अच्छा कहा था । नहीं तो पति के मौत के बाद सासु माँ ने उसे कुलटा कह कर घर से निकाल दिया था ।

वो बोली " भैया रात को कितने बजे तक दुकान चलती है ? "

महेश:- 8 बजे तक दीदी

स्त्री:- भैया ये बच्चे और खुद के लिए मई 2 घर के बर्तन घिस कर रात 8:30 को लौटती हु । तब तक यहाँ की सभी दुकाने बंद हो जाती है । मेरा बच्चा रात बाहर युही रट रहता भूक के कारन । बोलते नहीं आता उसे इसका ही दुरूपयोग कर मै भी चुप रह जाती हु ।

और वो रोने लगी

महेश:- दीदी आप टेंशन न लो आपको दूध की बोतल दिए सिवा दुकान बंद नहीं होगी । पर एक शर्त है। 

स्त्री:- कैसी शर्त भैया ?

महेश:- आप मुझे दूध के पैसे नहीं दोंगे

ये सुन कर उसे स्त्री को रोना आ गया जो की ख़ुशी के आंसू थे ।

महेश को भगवान और नेक दिल इंसान समझ वो स्त्री रोज दूध ले जाती । ऐसे 6 महीने बित गए । अब वो गरीब स्त्री बीमार हो गई । एक दिन महेश उसका इंतजार कर रहा था । 9:30 हो चुके थे । अब वो स्त्री आई । महेश ने तुरंत दूध दे दिया । आज उसका चेहरा काफी उदास लग रहा था । बीमारी के कारन आँख के निचे काले धब्बे साफ दिखाई दे रहे थे । महेश जैसे ही नजर हटाई वो स्त्री वह नहीं थी । महेश को लगा देर होने के कारन घई गड़बड़ में निकल गई हो । दूसरे दिन वो ठीक 8 बजे आ गई । फिर महेश ने दूध दिया और नजर काम में लगते हुए कहा " कल क्यों लेट हो गई थी दीदी ? " देखा तो दीदी गायब । तीसरे दिन फिर वो आई महेश ने पहले उसे गौर से देखा तो चेहरा सफ़ेद हो चूका था । महेश को लगा के ये बहोत बीमार है और पैसे न होने के कारन डॉक्टर के पास नहीं गई । 

उसे दूध देकर महेश घर आ गया । और अपनी पत्नी से सब हक़ीक़त कही । महेश की पत्नी इसी की तरह दयालु थी । उसने कहा की चलो हम उसके घर जाते है और डॉक्टर को दिखाते है उसे । महेश उसी वक़्त उसकी पत्नी के साथ निकल पड़ा । महेश को पता अच्छे से याद था । एक अँधेरी गली में पहोचते से ही अकेले में पड़ी उस झोपडी से बदबू आ रही थी । दरवाजा ठोकने पे दरवाजा एक झटके में खुल गया मनो लोटा हुआ हो । जैसे ही महेश अंदर गया अंदर केवल अँधेरा था और बदबू से घर भरा पड़ा था । महेश को बच्चे के खेलने का आवाज हा रहा था । महेश ने आखिर लाइट लगाया । सामने का नजारा देख महेश हिल गया । उस स्त्री की सडी हुई लाश सामने थी 3 4 दिन पहले ही वो मर चुकी थी । 

उसकी खुले आँखे उस बच्चे को देख रहे थे । बच्चा माँ को देख हस रहा था । उसे ये भी समझ नहीं रहा था की उसकी माँ ने अपनी जान गवा दी है । पास ही में 3 खाली दूध की बोतल पड़ी थी । महेश समझ चूका था की मरे बाद भी माँ ने अपना कर्तव्य निभाया है । 2 3 दिन से महेश एक आत्मा को दूध दे रहा था । अब पुलिस बुला कर महेश ने उस स्त्री का अंतिम संस्कार किया और उस बच्चे को खुद गोद ले लिया । आज वो लड़का दिनों के साथ बहोत खुश है । पर आज भी महेश को लगता है की अपने साथ उस स्त्री की आत्मा मौजूद है और अपने बच्चे को देख रही है ।

संपादक-

सोनल, जतिन, रितेश

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