रामराव और सुशीला ये गांव की उत्कृष्ट जोड़ी थी । रामराव 60 साल के थे पर पहलवानी का माँनो उनपर वरदान ही था जिससे वो 45 साल के ही लगते थे । खुद के मेहनत और जिद्द पर एक सफल किसान और एक व्यवसायिक होकर काफी नाम कमाया था ।
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Photo by freestocks on Unsplashकाला जादू |
रामराव और सुशीला ये गांव की उत्कृष्ट जोड़ी थी । रामराव 60 साल के थे पर पहलवानी का माँनो उनपर वरदान ही था जिससे वो 45 साल के ही लगते थे । खुद के मेहनत और जिद्द पर एक सफल किसान और एक व्यवसायिक होकर काफी नाम कमाया था । पर उनकी असली कोई कमाई थी तो वो जनता में कमाई हुई उनकी इज्जत । अपार ह्रदय के स्वामी, पाप पुण्य में विश्वास करने वाले और सबको इज्जत देनेवाला था ये परिवार । गांव में किसी पर भी कोई समस्या आने पे पहले दौड़ के जाते ।
रात बे रात भी जनता के लिए इनके बाडे के दरवाजे खुले होते । ऐसा व्यक्ति राजनीती में कूदे इस हेतु सभी पार्टिया जोर आजमाने लगी और इनके चक्कर काटने लगी , बड़े बड़े पदों का लालच देने लगी पर रामराव ने खुद को इससे हमेशा ही दूर रखा । रामराव के शब्द को गांव में काफी वजन था । सरकारी क्षेत्रो में भी उनके नाम का डंका बजता था । उनके एक शब्द पर सालो से अटके काम पुरे हो जाते ।
इसी तरह उनकी पत्नी भी माया ममता से सबको ले कर चलती । गांव की माँ ही उन्हें समझा जता । गांव उन्हें आबा और माई कहता था । ऐसा ही था इनका बेटा शंकर सब उसे प्यार से छोटे पाटिल कहते थे । शादी के कई साल बाद बहोत उपवास और मन्नतो के कारन ये पैदा हुआ था । आबा और माई के लिए शंकर जान से जादा था । अब तो शंकर हस्त पुश्त 25 साल का हो गया था ।
बाप की तरह इसे भी पहलवानी का शौक था । उसका शरीर देख कर रामराव को अपने जवानी के दिन याद आते थे , जीते हुए पहलवानी के खिताब याद आते थे । आबा देरी से सही पर बाहुबली पुत्र मिलने पर भगवान को धन्यवाद् देते थे ।
रात बे रात भी जनता के लिए इनके बाडे के दरवाजे खुले होते । ऐसा व्यक्ति राजनीती में कूदे इस हेतु सभी पार्टिया जोर आजमाने लगी और इनके चक्कर काटने लगी , बड़े बड़े पदों का लालच देने लगी पर रामराव ने खुद को इससे हमेशा ही दूर रखा । रामराव के शब्द को गांव में काफी वजन था । सरकारी क्षेत्रो में भी उनके नाम का डंका बजता था । उनके एक शब्द पर सालो से अटके काम पुरे हो जाते ।
इसी तरह उनकी पत्नी भी माया ममता से सबको ले कर चलती । गांव की माँ ही उन्हें समझा जता । गांव उन्हें आबा और माई कहता था । ऐसा ही था इनका बेटा शंकर सब उसे प्यार से छोटे पाटिल कहते थे । शादी के कई साल बाद बहोत उपवास और मन्नतो के कारन ये पैदा हुआ था । आबा और माई के लिए शंकर जान से जादा था । अब तो शंकर हस्त पुश्त 25 साल का हो गया था ।
बाप की तरह इसे भी पहलवानी का शौक था । उसका शरीर देख कर रामराव को अपने जवानी के दिन याद आते थे , जीते हुए पहलवानी के खिताब याद आते थे । आबा देरी से सही पर बाहुबली पुत्र मिलने पर भगवान को धन्यवाद् देते थे ।
अपनी पढाई पूरी कर शंकर भी गांव ने ही रहने लगा और कारखाना और किसानी देखने लगा । उसके विवाह हेतु रामराव अब लड़की देखने लगे । सब ठीक चल रहा था ।
हम्बर पाटिल ये आबा के विरोधी थे । पर आबा के साथ अच्छा रहकर अच्छा बने रहने का नाटक करते । आबा को मिलने वाला मान सम्मान देख हम्बर की बहुत जलती थी । हम्बर की जलन इतनी बढ़ गई की वो आबा के खिलाफ योजना बनाने लगे । देखा जाये तो हम्बर बगल में पला हुआ साँप ही था जो कभी भी काट सकता था ।
वो रात अमावस की थी । हम्बर राव के पूर्वजो द्वारा बनाया गया एक बाडा था जो की गांव के बहार था । उसे हम्बर राव ने चुना अपने काले कारनामे करने हेतू । उनके साथ उनका विश्वस्त नौकर सखाराम भी था । रात के 11 बज रहे थे । वे बाडे पर पहुचे । सभी साहित्य के साथ दादु पंडित उनकी प्रतीक्षा कर रहा था । उसे विधि हेतु शंकर राव की 6 प्रकार की वास्तु मंगवाया । इसलिए नौकर सखाराम की पत्नी शेवंता पर भी जिम्मेदारी दी गई थी की आबा पाटिल के लड़के से जुडी कुछ साहित्य लाये ।
इसके हेतु आबा के बाद में नौकर का काम कर इन्होंने शंकर राव की जिम्मेदारी स्वीकारी थी । शंकर राव की रुमाल, काटे हुए नाख़ून, मोज़े, परफ्यूम की बोतल और दाढ़ी के लिए उपयोग में लाया हुआ ब्लेड शेवन्ता ने पा लिया था । और शंकर के बाल की जिम्मेदारी हम्बर ने खुद ली थी । इसके लिए शंकर राव के नाइ को ख़रीदा गया था । 2 हजार की नोटेे थमाने पर नाइ ने भी तुरंत केश दे दिए थे ।
अब दादु पंडित ने लाल कुमकुम से एक घेरा बनाया और उसमे 6 कोनो वाला सितारा बनाया था । सितारे के हर कोने में पिंडदान के वक़्त जैसे चावल के पिंड बनते है वैसे पिंड बना के रखे गए । उन सब पर 6 वस्तुओ को रखा गया । सभी कोनो में 6 धरी निम्बू को रखा गया । उसी पर काली उड़द, काली हल्दी और कुकू को अर्पित किया गया ।
साथ लाइ हुई उलटे फ़र वाली मुर्गा की गर्दन काट कर उसके खून को गोमूत्र की तरह छिपा गया और साथ ही दादु का मंत्र जप आरम्भ हुआ। और उस मरे हुए मुर्गे को सितारे के बिच में रखा गया । दादु ने हम्बीर राव को दक्षिण मुखी मुख कर घेरे के पास बैठने को कहा । हम्बीर राव को दादु ने कहा की एक बार ये मुठ मारी गई तो वापस लेते नहीं आएगी । और अगर वापस लेने की कोशिश की तो खुद का बलिदान देना होगा । आखरी बार सोच लो की चेतावनी दी ।
साथ लाइ हुई उलटे फ़र वाली मुर्गा की गर्दन काट कर उसके खून को गोमूत्र की तरह छिपा गया और साथ ही दादु का मंत्र जप आरम्भ हुआ। और उस मरे हुए मुर्गे को सितारे के बिच में रखा गया । दादु ने हम्बीर राव को दक्षिण मुखी मुख कर घेरे के पास बैठने को कहा । हम्बीर राव को दादु ने कहा की एक बार ये मुठ मारी गई तो वापस लेते नहीं आएगी । और अगर वापस लेने की कोशिश की तो खुद का बलिदान देना होगा । आखरी बार सोच लो की चेतावनी दी ।
तभी दादु को हम्बर ने कहा हरामखोर तू चुपचाप अपना काम कर पैसे ले और चलते बन , बाद का मैं देख लुगा क्या करना क्या नहीं तो ।
तभी दादु ने कहा एक 6 धार नीबू ले कर मुठ में कस कर दबाये और जिसपे करनी करनी हो उसका नाम लेकर मुर्गे के शरीर पर जोरदार प्रहार करे । और अगली अमावस को उसकी लाश आपके सामने होगी । हम्बर के विचारो में शंकर मरा पड़ा हुआ है और उसके माँ बाप कलेजा फाड़ कर रो रहे है ये दिख रहा था । और ठीक 12 बजे शंकर रामराव पाटिल कह कर हम्बर ने मुर्गे पर मुठ मारी ।
मुर्गे के मुह से आखरी चीख बहार निकली और खून के छींटे उड़ गए । काम पूरा हो चूका था । दादु के हाथ पे 51000 रूपये चिपक दिये गए थे । और कहा गया की इस विषय में मुह खोला तो परिवार के साथ मार दिया जायेगा । सभी काम निपटा सखाराम और हम्बर चलते बने इस बिच 12:30 बज गए थे ।
मुर्गे के मुह से आखरी चीख बहार निकली और खून के छींटे उड़ गए । काम पूरा हो चूका था । दादु के हाथ पे 51000 रूपये चिपक दिये गए थे । और कहा गया की इस विषय में मुह खोला तो परिवार के साथ मार दिया जायेगा । सभी काम निपटा सखाराम और हम्बर चलते बने इस बिच 12:30 बज गए थे ।
हम्बर राव सोच रहे थे की शंकर के शादी के शेहनाई के बजाये जल्द ही मैयत की शेहनाई यहाँ बजेगी । आबा अपने लड़के के मरे हुए शव को देख आधा मर जायेगा । अब केवल 30 दिन बचे है । ऐसा सोचते हुए हम्बर के आँखों में एक चमक निर्माण हो गई थी । इधर शंकर राव अपने बाडे में सो रहे थे । तभी अचानक वो चीख कर उठ पड़े । मनो ऐसा हुआ हो जैसे किसीने उनके छाती पे जोरदार बुक्का मारा हो । इससे अभी वो उभरे ही नहीं थे के जैसे किसी ने उनका पेट मरोड़ रखा हो ऐसा उन्हें लगा । मरोड़ के कारन वो शौचालय गए । शौच न होते उन्हें खून की शौच हुई.
दूसरे दिन 5:30 को आबा पाटिल उठकर अखाड़े में जोर अजमाँ कर 8 बजे घर लौटे और व्यायाम करने लगे । माई भी अपना घरगुति काम कर रही थी । पर रोज 5 बजे उठने वाला शंकर आज 8 बजे तक उठा नहीं था ।
आबा ने सुशीला माई को आवाज लगाई की शंकर कहा है । माई ने कहा कुछ पता नहीं । और आबा उसे उसके कमरे में देखने गए । वहा से एकदम सदी हुई बदबू आ रही थी । पाटिल ने अपनी नाक झाक ली । और जैसे ही दरवाजा लोटा तो और सड़े बदबू का भपका उनके नाक पे पड़ा । और जैसे ही वो रूम में गए तो जोर से चीख पड़े ' शंकर ' । उनका डरा हुआ आवाज सुन कर सुशील माई भी दौड़ते हुए वहां पहुची । सामने का नजारा देख कर माई को चक्कर आ गई ।
शंकर जमीं पर खून में सन कर पड़ा हुआ था । और तभी नौकर भी दौड़ कर आये और शेवंता ने माई को संभाला । बाकि नौकरो की मदत से आबा ने शंकर को पलंग पे रखवाया। और एक नौकर को डॉक्टर को लेने भेजा । आबा शंकर के बाजु बैठकर शंकर को आवाजे देने लगे पर शंकर कुछ प्रतिउत्तर नहीं दे रहा था । वो पूरी तरह बेहोश था । ये देख कर पत्थर जैसे रामराव आबा बुरी तरह हार गए थे । डॉक्टर ने शंकर पे उपचार किया तो विज्ञानं की हद कहा तक जाती । डॉक्टर का निष्कर्ष पंहुचा की हो सकता हैशंकर राव को बवासीर हो । और कुछ गोलिया और दवाई देकर खान पान पर रोक टोक सुना दिए और चलते बने ।
अब शंकर बुरी तरह हल चूका था । 3 हफ्ते बित चुके थे ।
पहलवान शंकर अब सुख चूका था । सूखे गले से सांसो की आवाजे आते रहती । फेफड़ो का पिंजरा साफ़ नजर आ रहा था । माँनो सिर्फ चमड़ी के चादर में ढाका हुआ हड्डी का ढांचा हो । डॉक्टर आते और देखते और कहते अब सब भगवान के हाथ में है । अब रामराव खून के आंसू रोते अपने एक लौतेे पुत्र की हाल उनसे देखा नहीं जा रहा था । ये देख कर हम्बीर को बहुत ख़ुशी हो रही थी ।
मौज करने दादु पंडित बहार गया था । और जब लौटा तो पता लगा की अब पाटिल पहलवान बीमार है और कुछ बचने की गुंजाईश नहीं है । वो भी उनसे मिलने गया । आबा की हालात देख कर दादु पंडित को बहुत बुरा लगा । दादु पंडित ने आब से कुछ वर्तलाप की और पूछा कब से ये हो रहा है तो उसे पता की लगा की अमावस से हो रहा था तो वो हपचप रह गया की ये पाप उसी के हातो हम्बर ने करवाया था । क्योंकि हम्बर ने उसे नहीं बताया था की वो किसपे मुठ मार रहा था ।
फिर दादु ने खुद को ही पीटना चालू कर दिया की ये क्या अनर्थ वो कर बैठा । फिर आबा ने उसे पूछा क्या हुआ दादु ? तब दादु ने कहा की नदी में ड़ुब रहे मेरे बेटे को आपने जान पे खेल कर बचाया था और मेरे हाथो अनजाने में आप के ही बेटे के लिए घट तैयार हो गया । उसकी बात सुनते से ही आबा गुस्सा कर उठे । और उसे 4 तमाचे जड़ते हुए पूछ पड़े "क्या किया तूने मेरे शंकर को हरामजादे ?" रोते हुए दादू ने सब कुछ आबा को बताया और ये भी कहा की " मुझे सिर्फ घट रचने पैसे मिले थे ये नहीं बताया गया था की किसपे मुठ मारी जा रही है ।"
पहलवान शंकर अब सुख चूका था । सूखे गले से सांसो की आवाजे आते रहती । फेफड़ो का पिंजरा साफ़ नजर आ रहा था । माँनो सिर्फ चमड़ी के चादर में ढाका हुआ हड्डी का ढांचा हो । डॉक्टर आते और देखते और कहते अब सब भगवान के हाथ में है । अब रामराव खून के आंसू रोते अपने एक लौतेे पुत्र की हाल उनसे देखा नहीं जा रहा था । ये देख कर हम्बीर को बहुत ख़ुशी हो रही थी ।
मौज करने दादु पंडित बहार गया था । और जब लौटा तो पता लगा की अब पाटिल पहलवान बीमार है और कुछ बचने की गुंजाईश नहीं है । वो भी उनसे मिलने गया । आबा की हालात देख कर दादु पंडित को बहुत बुरा लगा । दादु पंडित ने आब से कुछ वर्तलाप की और पूछा कब से ये हो रहा है तो उसे पता की लगा की अमावस से हो रहा था तो वो हपचप रह गया की ये पाप उसी के हातो हम्बर ने करवाया था । क्योंकि हम्बर ने उसे नहीं बताया था की वो किसपे मुठ मार रहा था ।
फिर दादु ने खुद को ही पीटना चालू कर दिया की ये क्या अनर्थ वो कर बैठा । फिर आबा ने उसे पूछा क्या हुआ दादु ? तब दादु ने कहा की नदी में ड़ुब रहे मेरे बेटे को आपने जान पे खेल कर बचाया था और मेरे हाथो अनजाने में आप के ही बेटे के लिए घट तैयार हो गया । उसकी बात सुनते से ही आबा गुस्सा कर उठे । और उसे 4 तमाचे जड़ते हुए पूछ पड़े "क्या किया तूने मेरे शंकर को हरामजादे ?" रोते हुए दादू ने सब कुछ आबा को बताया और ये भी कहा की " मुझे सिर्फ घट रचने पैसे मिले थे ये नहीं बताया गया था की किसपे मुठ मारी जा रही है ।"
अब आबा ने दादु को इसपे उपाय करने को कहा तो दादु ने कह दिया की ये दाव हम्बीर ने रचा है वो ही इसे वापस ले सकते है ।
दादु ने कहा कल ही अमावस है पाटिल जल्दी ही कुछ करना होगा ।
की तुरंत आबा पाटिल ने अपनी 12 बोर की बन्दुक लोड की और चल पड़े हम्बर के घर के तरफ । हम्बर के बाड़े के बहार जोर से आब पाटिल की गर्जना सुनाई दी । हम्बर का पूरा परिवार बाहर आया । और पाटिल ने पहली फायरिंग कर दी । जिसका निशाना हम्बर राव के एक दम नजदीक से गया । हम्बर डर से कांप रहा था ।
आबा ने कह दिया अभी के अभी मुठ उठा ।
हम्बर बोलने ही वाला था की मुझे कुछ नहीं पता तभी उसकी नजर दादू पंडित पर पड़ी ।
अब मजबूर होकर हम्बर सबको अपने पुराने बाडे पे ले गया । और दादु ने तुरंत मुठ उठाने की विधि प्रारम्भ की । मुठ उठाने की विधि चल ही रही थी । हम्बर को अपना हाथ काट कर खून देना पड़ा । आखिर मुठ वापस हुई । दादु और आबा घर वापस आये और शंकर पाटिल के मुह से बहोत दिनों बाद शब्द निकला " माई आबा " जो सुनकर आबा बहुत खुश हुए और अपने बेटे को गले से लगा कर रोने लगे ।
अमावस की रात चल पड़ी थी । रात 12 बजे ही हम्बर की छोटी लड़की कुसुम को मनो किसीने जोरदार तमाचा जड़ दिया । वो बाड़े के बीचोबीच आ गई और गोल गोल घूमने लगी । बाजु में पड़ा छुरा हाथ में थाम कर सीधा अपने दोनों आँखों में घोप लिया । और जोर से चीख पड़ी ।
खुद के हाथ से खुद की नसे काटने लगी । नाक कान से खून बह रहा था । हम्बर ये सब देखता ही रह गया । और बुरी तरह से कुचले बाद जैसा शरीर होता है बिलकुल वैसा शरीर कर कुसुम ने अपने प्राण छोड़ दिए । किसी को कोई मौका ही नहीं मिला । मुठ का असर पूरा हो चूका था ।
खुद के हाथ से खुद की नसे काटने लगी । नाक कान से खून बह रहा था । हम्बर ये सब देखता ही रह गया । और बुरी तरह से कुचले बाद जैसा शरीर होता है बिलकुल वैसा शरीर कर कुसुम ने अपने प्राण छोड़ दिए । किसी को कोई मौका ही नहीं मिला । मुठ का असर पूरा हो चूका था ।
आबा पाटिल के बजाये हम्बर जे घर में राम नाम सत्य है गूंज रहा था । हम्बर पागल होकर कभी हस्ता तो कभी रोता । कभी उसे कुसुम दिखती तो कभी किसी चुड़ैल का जिक्र करता । और घर के एक कमरे में बंद रहता ।
समाप्त
दोस्तों मुठ ये काला जादू बहुत ही खतरनाक है । इस कथा में मुठ का प्रयोग जो दिखाया गया है वो सम्पूर्ण नहीं कोई भी उसका इस्तेमाल करने की कोशिश न करे । और ये कथा एक सच्ची घटना है जिसका स्थान और पत्रो के नाम बदले गए है ।
मुठ ये काला जादू किसी आत्मा को आवाहन कर भोग लगा कर किया जाता है इंसान एक बार अपने वादे से पलट जाते है पर आत्माए नहीं वो किसी न किसी की मौत दे ही जाती है । मुठ के वार को पलटाया जा सकता है पर नष्ट नहीं किया जा सकता । अक्सर पलटाते वक़्त कई तांत्रिक खुद के ही ऊपर इसे ले लेते है । कृपया काले जादू से दूर रहे ।
आपके पास है कोई सच्चा अनुभव या काल्पनिक कहानिया तो हमें जरूर भेजे 8856093673 watsapp पर ।
जय श्री राम
कहानी:- रितेश सोनावणे
व्यवस्थापक और चित्र:- सोनल भालेराव
संपादक और भाषान्तर:-
जतिन दिवेचा
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