एक छोटा सा वादा , जिंदगी से जादा ।

मैक और सुहानी ये दोनों क्लासमेट थे । सुहानी मुम्बई की थी और उसके पिताजी बहोत बड़े बिजनेसमैन थे । सुहानी को उसकी जिद के कारन पढ़ने हेतू ऑस्ट्रेलिया भेज दिया गया ।

एक छोटा सा वादा , जिंदगी से जादा ।
Photo by Sam Pineda from Pexels



एक छोटा सा वादा , जिंदगी से जादा ।



एक छोटा सा वादा , जिंदगी से जादा ।

ये कहानी है या हक़ीक़त मै नहीं जनता पर इसे मेरे दोस्त ने एक मैगज़ीन में पढ़ा था ।

तो अब पेश करते है Horror writers group की एडिटिंग की हुई 1st story ।

मैक और सुहानी ये दोनों क्लासमेट थे । सुहानी मुम्बई की थी और उसके पिताजी बहोत बड़े बिजनेसमैन थे । सुहानी को उसकी जिद के कारन पढ़ने हेतू ऑस्ट्रेलिया भेज दिया गया । मैक भी ऑस्ट्रेलिया का निवासी, रंग से गोरा, नीली आँखे । 1st year से ही सुहानी और मैक अच्छे दोस्त थे । देखते देखते 4 साल बित गए और पता भी नही चला । पढाई ख़त्म हो चुकी थी अब सुहानी को भारत वापस आना था । सुहानी की पूरी तयारी हो चुकी थी । सुहानी बहुत खुश थी । तभी मैक आया और वे दोनों कॉफ़ी शॉप गए । वह दोनों कॉफ़ी पिते हुए गप्पे लड़ाने लगे । तभी मैक भावुक वाणी से बोल पड़ा " अब तुम वापस भारत जा रही हो क्या पता कभी मिल भी पाओगी या नही ? "

सुहानी - " जब तुम भारत आओगे तब मिलूंगी ना । "

मैक - " भारत तो मै भी आना चाहता हु पर तुम मिलोगी न तब ?"

सुहानी -" मिलूंगी और पूरा भारत भ्रमण भी कराऊँगी यह मेरा वादा है तुमसे । और चाहे जान क्यों न चली जाये हम भारतीय कभी वादा नहीं तोड़ते । "

और सुहानी इस मुलाख़त के बाद भारत लौट आई ।

मैक को एक कंपनी में जॉब लग गई थी । 2 साल बित गए । कंपनी के काम से मैक भारत आने वाला था । उसे सुहानी की याद आ गई और कॉलेज के दिन याद आ गए । 

पर किसी प्रकार का संपर्क रहा नहीं था। आखिर मैक भारत आया । मुम्बई में ही उसे सॉफ्टवेर का काम था । वो होटल से निकला, काम निपटाया और सुहानी की याद में एक गार्डन में बैठ गया और भारत भ्रमण की अधूरी ख्वाइश के चिंता में डूब गया और सोचने लगा बड़ा आई थी वादा करने की भारत घुमाएगी पर वादा भूल गई । तभी उसके कंधे पे किसीने पीछे से हाथ रखा। उसने पीछे पलट के देखा तो वो सुहानी थी । आज भी कॉलेज जितनी ही खूबसूरत । मैक आश्चर्य और ख़ुशी से उसकी तरफ देख रहा था ।

मैक - कैसी हो सुहानी ? कितना फोन किया पर फोन बंद बता रहा था । तुम्हें कैसे पता लगा मैं यहाँ आया हु ?

सुहानी - अरे बस यार कितने प्रश्न एक साथ पूछोगे ? जब मै भारत आई तो मोबाईल बदल लिया और अभी शॉपिंग को जा रही थी तो तुम यहाँ बैठे दिखाई दिए । पहले तो नजरो को यकींन नहीं हुआ पर बाद में लगा की तुम ही हो ।
और हा चाहे जान क्यों न चली जाये पर हम भारतीय अपना वादा नहीं भूलते । चलो अब भारत घूमाती हूँ। 

इतना केहकर वो हमेशा की तरह मिठा हस पड़ी ।

अब वे दो दिन बहुत घुमे । शॉपिंग की । अब मैक को वापस ऑस्ट्रेलिया जाना था । वो वक़्त आ चूका था । दोनों फिर से airport कॉफी शॉप में मिले ।

मैक- thank you so much सुहानी यार तेरे कारन ये दो दिन बहोत अच्छे बीते । जो मै कभी भुला नहीं पाउगा ।

सुहानी - अरे फिर वादा किया था तो घूमना तो था ही after all I m Indian lady और चाहे जान क्यों न चली जाये हम भारतीय अपना वादा कभी नहीं तोड़ते ।

मैक- धन्य हो भारतीय नारी, पर कल से देख रहा हु सब मेरे तरफ एक टक देखकर हस क्यों रहे थे यार ?

सुहानी- अरे तू फोरेनर है न इसीलिए । मुझे नहीं क्या ऑस्ट्रेलिया में देखते थे ऐसे ?

मैक- हा यार हो सकता है कुदरत भी इंसान को अलग अलग बनाती है ।

सुहानी - हा किसी को क्या बनाती है तो किसी को क्या ? After all ये मेरे तरफ से तुम्हें गिफ्ट है मैक । इसे फ्लाइट में बैठे बाद ही खोलना । ओके

ऐसा कह कर एक लिफाफा मैक के हाथ में सुहानी थमा देती है ।

मैक- ओके

सुहानी- take care यार good bye

मैक - you to सुहानी good bye friend.

सुहानी चली जाती है । और ये देख सभी लोग मैक पे हस्ते है । मैक उन्हें दुर्लक्षित कर फ्लाइट में बैठता है और फ्लाइट उडान भरती है ।
मैक अपना कैमरा निकल फोटो चेक करता है और ख़ुशी केे चेहरे से देखता है । तभी उसकी और सुहानी की जोड़ी से निकली फोटो देखता है तो देख कर हक्का बक्का रह जाता है क्योकि उसमे सुहानी नहीं दिखाई पढ़ती । वो और 2 4 फोटो देखता है । तब उसे समझ आता है की लोग उसे देख क्यों हस रहे थे । क्योंकि वे अकेला ही बड़बड़ा रहा था ।और सुहानी उस अकेले को ही दिख रही थी । मैक को कुछ समझ नहीं आता । इसी के साथ मैक वो लिफाफा खोलता है जो सुहानी ने उसे दिया था । उसमे एक letter था। जिसमे लिखा था 

"Dear friend Mac,

जिस दिन ऑस्ट्रेलिया से निकली उसी दिन मेरा प्लेन क्रैश हो गया था और मुझे मौत आ गई । ऊपर से तुम्हें देख रही थी की तुम भारत आये और मेरी याद की और कहने लगे की सुहानी अपना वादा भूल गई । पर दोस्त भगवांन से 48 घंटो का वक़्त मांग सिर्फ तुम्हारे लिए आई थी। याद रखना दोस्त चाहे जान चली जाये पर हम भारतीय अपना वादा नहीं भूलते।

Yours late friend,
सुहानी "

तभी मैक के आंसू छलक पड़े और उस letter पर आ गिरे । उसे अपने दोस्त के मौत का बहोत दुःख था और एक ही बात याद आ रही थी की

" चाहे जान चली जाये पर हम भारतीय अपना वादा नहीं भूलते ।"

समाप्त

अगर आप भी एक उत्कृष्ट लेखक और अपार कल्पना शक्ति के धनी हो तो हमारे साथ मिलकर एक स्टोरी बना सकते हो । उत्कृष्ट से उत्कृष्ट ।


Story Editor,

1) सोनाली भालेराव
2) जतिन दिवेचा

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