यह कहानी पूजा के बचपन मे घटी सत्य घटना है । हमारी पूजा बचपन मे पदयात्रा करने की बहोत शौकीन थी और बहूत बडी खूराफाती भी ।
बहोत मीन्नते करने के बाद पूजा ने यह कहानी पोस्ट करने की आनुमती दि है ।
यह कहानी पूजा के बचपन मे घटी सत्य घटना है । हमारी पूजा बचपन मे पदयात्रा करने की बहोत शौकीन थी और बहूत बडी खूराफाती भी ।
एक दिन पूजा यू ही टहल रही थी । ऊस दिन अमावस का योग था । दिन भर पूजा टहल कर घर लौटी और हाथ मूँह धोकर पूजा पूजा करने लगी । पूजा की पूजा खत्म होने पर पूजा घर के एक कोने मे जाकर रोने लगी । ऊसके माता पीता चींतीत हूए की क्या हूआ । ऊन्होने पूजा से पूछताछ की । पर पूजा रो ही रही थी । पर कोई उत्तर नही दे रही थी । घर वालो ने उसे अपने हाल पर छोड दिया ।
दुसरे दिन सब ठिक रहा पर दो रोटी खाने वाली पूजा आज 8 रोटटिया खा चूकी थी और बार बार पानी पी रही थी । ऐसे दो तीन दिन बीत गए । रोज पूजा पूजा के वक्त रोती । घूटनो मे छूपा के रोती । अब घर वाले काफी चिंतीत हो गए ।
हमारे महाराष्ट्र मे ज्योती यह शब्द काफी प्रचालीत है । यह एक चमकदार सून्हरा रंग का कागज होता है जो घर के चौकट पर कोई स्त्री आकर लगा जाती है । यह ज्योती बूरी शक्तीयो से घर की रक्षा करती है । यह ज्योती लगाने वाली स्त्रीया तंत्र वीद्या की जानकार होती है । साथ ही बूरी शक्तीयो को भी पहचान लेती है ।
यह स्त्री पूजा के घर ज्योती लगाने आई । ज्योती लगाने पर ऊसने पूजा के पीताजी से कहा की आपके घर बूरा साया है । पूजा के पीताजी ने ऊस स्त्री को सब सच बताया की ऐसा ऐसा रोज हो रहा है । ईतने मे पूजा बाह आई और ऊस स्त्री को शुद्ध मराठी मे गालीया देकर हकाल दिया । वो स्त्री पूजा को घूरे जा रही थी । अब दिन ब दिन पूजा का गूस्सा बढ रहा था । स्वभाव चीडचीडा हो रहा था । रोने का कार्यक्रम अभी भी चल रहा था । अब पूजा ने घर मे पूजा करने पर झगडा करना शूरू कर दिया था ।
अचानक एक दिन फकीरा बाबा पूजा के घर आए । पूजा ऊन्हे दैख कर भी चीड चीड करने लगी । ऊन्होने पूजा पर कुछ अरबी शब्द बडबडा कर फूक मारी । अब पूजा शांत हूई । उन्होने कहा वो तूम्हे सताती है ना ?
पूजा ने हा कहा । घर वाले ये देख चकीत रह गए । तभी फकीर ने पूजा के सीधे हाथ के सबसे छोटी ऊंगली को दबाया । और कहा ध्यान से सुनो तभी जोर से चील्लाहट की आवाज आई । यह चील्लाहट पूजा के घर के छत पर से आ रही थी । पूजा के पीता और बहन ने बाहर जा कर देखा तो ऊन्हे एक जली हूई औरत दीखाई दी । जीसका मास जल कर लाल हो गया था । आँखे भी बाहर नीकली थी । शरीर से मास के लोथडे टपक रहे थे और वो ऊड कर चली गई ।
अब पूजा एकदम शांत और ठिक हो गई । अब वह सिर्फ दिल दूखने पर रोती है । पर गुस्सा आज भी नाक पर है ।
पूजा को ऊस फकिर ने सदाफूली के झाड के नीचे जाने से रोका था । सदाफूली का झाड पर छोटे सफेद फूल होते है । ईस झाड मे दूध की मात्रा पाई जाती है । ईसके बाद पूजा के घर से सदाफूली का झाड काट दिया गया है ।
अगर आप के पास भी है कोई भूतीया कहानी यहा सच्ची घटना तो हमे जरूर बताए । हम आपके नाम के साथ पोस्ट करेंगे ।
ॐ
लेखक - Jatin Divecha
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